केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि नवंबर 2021 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित पेट्रोल और डीजल पर शुल्क में कटौती और 21 मई 2022 को पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
- वित्त मंत्री ने 21 मई 2022 को पेट्रोल पर ₹8/लीटर और डीजल पर ₹6/लीटर की उत्पाद शुल्क में कमी की घोषणा की थी जो 23 मई 2022 से प्रभावी होगा और नवंबर 2021 को पेट्रोल में ₹5/लीटर और डीजल में ₹10/लीटर की गयी कमी ,सड़कों और बुनियादी ढांचा उपकर में किया गया है।
- सड़कों और बुनियादी ढांचा उपकर से होने वाले राजस्व को राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है।
- नवंबर 2021 और21 मई 2022 को शुल्कों में हुई कटौती से केंद्र सरकार को 2.2 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की उम्मीद है।
- शुल्क में कटौती की घोषणा के बाद पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरन ने कहा है कि ऑटो ईंधन पर केंद्रीय लेवी को कम करने से केंद्रीय विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी घट जाएगी, जहां एकत्रित राजस्व का 41% उन्हें जाता है। इससे राज्यों को राजस्व का भरी नुकसान होगा ।
- राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाती है।
- निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क कम नहीं किया है, जिसका राजस्व केंद्र और राज्य के बीच साझा किया जाता है। केंद्र के इस कदम से नुकसान सिर्फ केंद्र को होगा न की राज्यों को ।
- माल पर उनके निर्माण के समय लगाया गया कर उत्पाद शुल्क कहलाता है।
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क के चार घटक हैं,- मूल उत्पाद शुल्क , विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क , सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर और कृषि और बुनियादी ढांचा विकास उपकर ।
- मूल उत्पाद शुल्क राज्यों के साथ साझा करने योग्य है, जबकि अन्य तीन नहीं हैं।
पेट्रोलियम उत्पाद माल और सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत नहीं आता हैं।
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