प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में जारी लू के प्रकोप के प्रबंधन और आगामी दक्षिण-पश्चिम मानसून के संबंध में तैयारियों की समीक्षा के लिए 5 मई 2022 को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की।बैठक में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारियों ने भाग लिया।
प्रधान मंत्री ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को देश में असामान्य रूप से उच्च गर्मी की लहर से निपटने के लिए जिला स्तर पर योजना बनाने की सलाह दी।
प्रधान मंत्री ने सभी राज्यों को बाढ़ की योजना तैयार करने और उचित उपाय करने की भी सलाह दी। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को बाढ़ प्रभावित राज्यों में तैनाती योजना विकसित करने की सलाह दी गई है।
भारत में असामान्य गर्मी की लहर
आईएमडी के अनुसार सामान्य रूप से भारत में लू मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में भी होती है जबकिभारत में ‘प्रचंड लू’ आमतौर पर मई महीने में होती है ।
हालांकि इस साल भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है। भारत में मौजूदा लू का दौर मार्च में शुरू हुआ और यह चार चरणों में देखा गया - 11 से 19 मार्च, 27 मार्च से 12 अप्रैल, 17 से 19 अप्रैल और 26 से 30 अप्रैल।
इस साल मार्च का महिना पिछले 122 वर्षों में सबसे गर्म था , जिसमें अधिकतम तापमान, सामान्य से 1.86 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
आईएमडी द्वारा भारत में लू की स्थिति घोषित करने के लिए निम्नलिखित मानदंडों का उपयोग किया जाता है:
लू क्या है
भारत में लू को आईएमडी द्वारा हवा के तापमान की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमे मानव के इसके संपर्क में आने पर मानव के जीवन के लिए खतरा बन जाती है।
लू को वास्तविक तापमान या सामान्य से इसके अधिक होने के संदर्भ में किसी क्षेत्र में तापमान सीमा के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
आईएमडी दो मानदंडों का उपयोग करता है:
(1) सामान्य तापमान से ज्यादा :
लू : यदि तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेंटीग्रेड - 6.4 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो।
‘प्रचंड लू’: यदि तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो ।
(2)वास्तविक अधिकतम तापमान के आधार पर
लू: जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड या उससे ज्यादा हों
‘प्रचंड लू’ : जब वास्तविक अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेंटीग्रेड या उससे ज्यादा हों
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