भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इसरो वैज्ञानिक के लिए शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए , सुकरायन -1 मिशन को लॉन्च करने के लिए दिसंबर 2024 का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इसरो इस तथ्य का लाभ उठाना चाहता है कि 2025 में पृथ्वी और शुक्र इस तरह से संरेखित होंगे जिससे शुक्र की कक्षाओं में स्थापित किए जाने वाले अंतरिक्ष यान द्वारा न्यूनतम ईंधन का उपयोग किया जा सके।इसी तरह की अगली खगोलीय घटना 2031 में होगी।
- शुक्र ग्रह विज्ञान पर एक दिवसीय बैठक को संबोधित करते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि शुक्र मिशन की परियोजना रिपोर्ट तैयार हो गई है और धन की व्यवस्था कर ली गयी है ।
- शुक्र ग्रह घने बादल से ढका हुआ एक ग्रह है, जिससे पृथ्वी से निरीक्षण करना मुश्किल हो जाता है।इसरो अंतरिक्ष यान पर एक महत्वपूर्ण उपकरण लगाएगा जिसमें शुक्र की सतह की जांच के लिए उच्च विभेदन सिंथेटिक एपर्चर रडार होगा।
- भारत सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान के बाद शुक्र पर अंतरिक्ष यान भेजने वाला पांचवा देश बन जाएगा।
शुक्र ग्रह के बारे में रोचक तथ्य
- हमारे सौर मंडल में शुक्र, सूर्य से दूसरा ग्रह है और पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है।
- इसे अक्सर पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है क्योंकि यह आकार और घनत्व में पृथ्वी के समान है।
- यह सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है क्योंकि इस ग्रह में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में बहुत ही कम अन्तर होता है। इसका वातावरण कार्बन डाइऑक्साइड से भरा हुआ है जो की एक ग्रीनहाउस गैस है ।
- शुक्र, पृथ्वी के विपरीत, अपनी धुरी पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। इसका अर्थ है कि सूर्य शुक्र पर पश्चिम में उगता है और पूर्व में अस्त होता है।
- इसे भोर का तारा और संध्या का तारा भी कहा जाता है।
- शुक्र का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष यान 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) द्वारा लॉन्च किया गया, मेरिनर -2 था।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)। यह भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है।
- इसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 को भारत सरकार द्वारा की गई थी।
- मुख्यालय: बेंगलुरु
- अध्यक्ष: एस सोमनाथ
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