प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2022 को गुजरात के कलोल में दुनिया के पहले नैनो यूरिया (तरल) का उद्घाटन किया। यूरिया संयंत्र भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (इफको) द्वारा कलोल, गांधीनगर, गुजरात में स्थापित किया गया है।
- आईआईएफसीओ 2021 में दुनिया भर के किसानों के लिए तरल रूप में 'नैनो यूरिया' पेश करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई।
- इसे नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, कलोल, गुजरात में इफको के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया था।
- इस तरल 'नैनो यूरिया का विकास पारंपरिक यूरिया का इस्तेमाल कम करना और उसका स्थान लेने के लिए विकसित किया गया है। तरल 'नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया का इस्तेमाल को कम से कम 50% तक कम कर सकता है।
- 500 मिलीलीटर की बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो पारंपरिक यूरिया के एक बैग द्वारा प्रदान किए गए नाइट्रोजन पोषक तत्व के प्रभाव के बराबर होता है।
पारंपरिक यूरिया के दुष्परिणाम
- यूरिया के अधिक उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण होता है, मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान होता है, उत्पादन में कमी आती है।
- पारंपरिक यूरिया दानेदार रूप में होता है और पौधे लगभग 30 से 50% यूरिया को ही अवशोषित करते हैं और बाकी बेकार चला जाता है, जिससे मिट्टी प्रदूषण, जल प्रदूषण और नाइट्रस ऑक्साइड गैस जो एक ग्रीनहाउस गैस है, के निकलने के कारण ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा मिलता है ।
- किसानों द्वारा नैनो यूरिया लिक्विड का उपयोग मिट्टी में यूरिया के अधिक उपयोग को कम करके संतुलित पोषण कार्यक्रमों को बढ़ावा देगा और फसलों को मजबूत, स्वस्थ और उन्हें रहने के प्रभाव से बचाएगा।
यह पारंपरिक यूरिया से बेहतर क्यों है
- नैनो तकनीक का उपयोग कर बहुत ही छोटे कणों को डिजाइन कर नैनो यूरिया बनया गया है ,इसी कारण इसको नैनो यूरिया कहा जाता है ।
- एक नैनो यूरिया तरल कण का आकार 30 नैनोमीटर होता है।अल्ट्रा-छोटे आकार और सतह के गुणों के कारण, तरल नैनो यूरिया पौधों द्वारा उनकी पत्तियों पर छिड़काव करने पर अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित हो जाता है।
- पौधे लगभग 80% नैनो यूरिया को अवशोषित करते हैं जिससे फसल की उपज, मिट्टी के स्वास्थ्य और फसलों की पोषण गुणवत्ता में सुधार होता है।
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (इफको)
यह विश्व की सबसे बड़ी किसान सहकारी संस्था है।
यह एक बहु-राज्य सहकारी संस्था है जिसकी स्थापना 1967 में उर्वरकों के उत्पादन के लिए की गई थी।
यह भारत में उर्वरकों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
मुख्यालय: नई दिल्ली
इसकी गुजरात में कलोल और कांडला, उत्तर प्रदेश में फूलपुर और अनोला और ओडिशा में पारादीप में फैक्ट्री हैं।
इफको/IFFCO: इंडियन फार्मरफर्टलाइज़र कोआपरेटिव (Indian Farmers Fertiliser Cooperative )
https://www.testwale.com/current-affairs/hindi/prime-minister-modi-inaugurates-worlds-first-nano-urea-liquid-plant-in-gujarat/