भारत सरकार ने बांस उद्योग को बढ़ावा देने और भारत में कच्चे बांस के इष्टतम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बांस चारकोल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में "कानूनी स्रोतों से प्राप्त बांस से बने बांस के चारकोल को निर्यात के लिए अनुमति दी है"।
- भारत में बांस का उपयोग मुख्यतः अगरबत्ती के लिए छड़ें बनाने में किया जाता है।
- अगरबत्ती के लिएछड़ें बनाने में केवल 16% बांस का उपयोग किया जाता है और बाकी 84% पूरी तरह से बेकार हो जाता है।
- इससे गोल बांस की छड़ियों के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले बांस के लागत में भारी वृद्धि हुई है जो वर्तमान में 4,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति टन की औसत बांस लागत के मुकाबले 25,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति टन है।
- बांस चारकोल के निर्यात से बांस के पूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने और इस प्रकार बांस के व्यवसाय को अधिक लाभदायक बनने की उम्मीद है।
- बारबेक्यू, मिट्टी के पोषण और सक्रिय चारकोल के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में बांस चारकोल की संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कोरिया, बेल्जियम, जर्मनी, इटली, फ्रांस और यूके जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी संभावनाएं हैं।
बांस
चीन दुनिया में बांस का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और भारत, दुनिया में बांस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
सर्वाधिक बांस क्षेत्रफल वाले राज्य
भारत में बांस का कुल क्षेत्रफल (15 मिलियन हेक्टेयर)
राज्य क्षेत्रफल
मध्य प्रदेश 1.84 मिलियन हेक्टेयर
अरुणाचल प्रदेश 1.57 मिलियन हेक्टेयर
महाराष्ट्र 1.35 मिलियन हेक्टेयर
ओडिशा 1.12 मिलियन हेक्टेयर
स्रोत: भारतीय वन राज्य रिपोर्ट 2021