भारत सरकार ने जूट मिलों और अन्य अंतिम उपयोगकर्ताओं द्वारा कच्चे जूट की खरीद पर 30 सितंबर, 2021 से निर्धारित कच्चे जूट के 6500/- रुपये प्रति क्विंटल टीडी5 ग्रेड के मूल्य सीमा को हटा दिया है।
यह निर्णय 20 मई 2022 से लागू किया जाएगा।
9 मई 2022 को नई दिल्ली में पश्चिम बंगाल सरकार, भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन और केंद्रीय कपड़ा सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह के बीच त्रिपक्षीय बैठक के बाद भारत सरकार ने यह फैसला किया है ।
पश्चिम बंगाल सरकार जूट के लिए अधिकतम मूल्य सीमा को समाप्त करने की मांग करती रही है और मांग की थी , कि इसकी दर बाजार के अनुसार तय की जाए।
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के बाज़ार में कच्चे जूट की बाजार कीमत लगभग 7000 रुपये प्रति क्विंटल थी।
किसान जूट मिलों को जूट बेचने को तैयार नहीं थे क्योंकि मिलें सरकार द्वारा निर्धारित 6500 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य से अधिक का भुगतान नहीं कर सकती हैं।
कच्चे माल की कमी के कारण पश्चिम बंगाल में करीब 12 जूट मिलें बंद हो गई हैं।
इसके कारण पश्चिम बंगाल में लगभग 12 जूट मिलें बंद हो गईं है और मजदूर बेरोजगार ।
भारत सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार की मांग मान ली है और जूट पर अधिकतम मूल्य सीमा समाप्त कर दी है।
मूल्य सीमा हटाने से किसानों, मिलों और जूट एमएसएमई क्षेत्र को मदद मिलने की उम्मीद है।
भारत में करीब 2.5 लाख जूट मिल मजदूर और 40 लाख जूट किसान हैं।
जूट
यह एक प्राकृतिक फाइबर है जिसे इसके रंग और नकद मूल्य के कारण गोल्डन फाइबर भी कहा जाता है।
दुनिया में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है जिसके बाद बांग्लादेश है।
बांग्लादेश के बाद भारत दुनिया में जूट का सबसे बड़ा निर्यातक है।
भारत में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक पश्चिम बंगाल है जिसके बाद बिहार और असम हैं।
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