नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री भगवंत खुबा जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित इंटरसोलर यूरोप 2022 में सम्मिलित हुये। उन्होंने “इंडियाज़ सोलर एनर्जी मार्केट” (भारत का सौर ऊर्जा बाजार) विषय पर होने वाले निवेश प्रोत्साहन कार्यक्रम में प्रमुख वक्तव्य दिया।
महत्वपूर्ण तथ्य :
अपने मुख्य वक्तव्य में श्री भगवंत खुबा ने कहा कि ‘माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी की महत्वाकांक्षी पंचामृत का लक्ष्य कॉप-26 इंडिया के दौरान तय किया गया था, जिसके तहत भारत 2070 तक नेट-ज़ीरो का लक्ष्य प्राप्त करेगा तथा 2030 तक गैर-जीवाश्म 500 गेगावॉट ऊर्जा की क्षमता स्थापित करेगा।’
भारत में पिछले सात वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में असाधारण वृद्धि हुई है तथा भारत ने 2021 में गैर-जीवाश्म ईंधन की समग्र ऊर्जा क्षमता का 40 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया है।
भारत 2030 तक निर्धारित अवधि से पूरे नौ वर्ष आगे है। भारत सरकार महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सौर पीवी सेक्टर में स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिये प्रतिबद्ध है।
भारत उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल का स्वदेशी निर्माण बढ़ाने के लिये संकल्पित है और इसके लिये 24,000 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा भारत की हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिये 25, 425 करोड़ रुपये का अनुमानित परिव्यय का प्रावधान किया गया है।
हरित हाइड्रोजन मिशन से आशा की जाती है कि वह हर वर्ष 4.1 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा।
इसके साथ ही भारत निवेश के अपार अवसर उपलब्ध कराता है। इस समय भारत में लगभग 196.98 अरब अमेरिकी डॉलर की परियोजनायें प्रक्रिया में हैं।
कॉप-26 :
ग्लासगो में CoP26 वैश्विक जलवायु सम्मेलन में नेताओं ने दशक के अंत तक वनों की कटाई को रोकने और धीमी जलवायु परिवर्तन में मदद करने के लिये मीथेन के उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लिया है।
इससे पहले भारत ने घोषणा की थी कि वह पाँच सूत्री कार्य योजना (पंचामृत) के तहत 2070 तक कार्बन तटस्थता तक पहुँच जाएगा, जिसमें 2030 तक उत्सर्जन को 50% तक कम करना शामिल है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन (एनएचईएम) :
केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत एक एनएचईएम की घोषणा की गई है, जो हाइड्रोजन को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिये एक रोडमैप तैयार करेगा। इस पहल में परिवहन क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता है।
एनएचईएम पहल के तहत स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों में से एक (हाइड्रोजन) का लाभ उठाया जाएगा।
एनएचईएम के मुख्य बिंदु :
हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन उत्पादन पर ज़ोर।
भारत की बढ़ती अक्षय ऊर्जा क्षमता को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना।
वर्ष 2022 तक भारत के 175 GW के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को केंद्रीय बजट 2021-22 से प्रोत्साहन मिला है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा विकास और NHM के लिये 1500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
हाइड्रोजन का उपयोग न केवल भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा, बल्कि यह जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा।