श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 12 मई 2022 को पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को एक राजनीतिक गतिरोध और आर्थिक संकट के बीच द्वीप राष्ट्र में स्थिरता बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया।
छठी बार बने प्रधानमंत्री :
यह छठी बार है जब श्री विक्रमसिंघे, को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। विक्रमसिंघे कभी भी अपना पूर्ण कार्यकाल पूरा नहीं किया है।
उनके पास द्वीप के आर्थिक मंदी के विनाशकारी प्रभाव को रोकने का कार्य होगा, वह भी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के अधीन, जिन्होंने उनके इस्तीफे की मांग कर रहे असंतुष्ट नागरिकों द्वारा उनका विरोध किया जा रहा है।
श्री गोटाबाया के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे ने 2 मई को प्रधानमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया।
श्री विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) को 2020 के आम चुनावों में समाप्त कर दिया गया था, जिसमें राजपक्षे ने दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। श्री विक्रमसिंघे वर्तमान में अपनी पार्टी के एकमात्र सांसद हैं।
श्रीलंका के वर्तमान आर्थिक स्थिति के उत्तरदायी कारक :
वर्ष 2009 में श्रीलंका जब 26 वर्षों से जारी गृहयुद्ध से उभरा तो युद्ध के बाद की उसकी जीडीपी वृद्धि वर्ष 2012 तक प्रति वर्ष 8-9% के उपयुक्त उच्च स्तर पर बनी रही थी।
परन्तु वैश्विक कमोडिटी मूल्यों में गिरावट, निर्यात की मंदी और आयात में वृद्धि के साथ वर्ष 2013 के बाद उसकी औसत जीडीपी विकास दर घटकर लगभग आधी रह गई।
गृहयुद्ध के दौरान श्रीलंका का बजट घाटा बहुत अधिक था और वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट ने उसके विदेशी मुद्रा भंडार को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण देश को वर्ष 2009 में आईएमएफ से 2.6 बिलियन डॉलर का ऋण लेने के लिये विवश होना पड़ा था।
वर्ष 2016 में श्रीलंका एक बार फिर 1.5 बिलियन डॉलर के ऋण के लिये आईएमएफ के पास पहुँचा, लेकिन आईएमएफ की शर्तों ने श्रीलंका के आर्थिक स्वास्थ्य को और बदतर कर दिया।
वर्ष 2019 में सत्ता में आई गोटाबाया राजपक्षे की सरकार ने अपने चुनावी अभियानों में निम्न कर दरों और किसानों के लिये व्यापक रियायतों का वादा किया था।
इन अविवेकपूर्ण वादों की त्वरित पूर्ति ने समस्या को और बढ़ा दिया।
वर्ष 2020 में उभरे कोविड-19 महामारी ने स्थिति को बद से बदतर कर दिया, जहाँ-
चाय, रबर, मसालों और कपड़ों के निर्यात को नुकसान पहुँचा।
पर्यटकों के आगमन तथा राजस्व में और गिरावट आई।
सरकार के व्यय में वृद्धि के कारण वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा 10% से अधिक हो गया और ‘ऋण-जीडीपी अनुपात’ वर्ष 2019 में 94% के स्तर से बढ़कर वर्ष 2021 में 119% हो गया।
श्रीलंका :
राजधानी : कोलंबो, दूसरी राजधानी "श्रीजयवर्धनपुरा कोटे"
मुद्रा : श्रीलंकाई रुपया
राष्ट्रपति : गोटाबाया राजपक्षे
प्रधानमंत्री : रानिल विक्रमसिंघे
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