संस्कृत व्याकरणाचार्य, पद्मश्री योग, तंत्र विद्या के मर्मज्ञ विद्वान 88 वर्षीय प्रो. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी का 11 मई 2022 की रात को निधन हो गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य :
प्रो. भगीरथ प्रसाद त्रिपाठी ने आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करके युवाओं में संस्कृत को लोकप्रिय बनाने में अमूल्य योगदान किया था।
प्रो. त्रिपाठी को वागीश शास्त्री के नाम से भी जाना जाता है।
सम्मानित किए गए :
संस्कृत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले प्रो. वागीश शास्त्री को वर्ष 2018 में पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया था।
उनका जन्म 24 जुलाई 1934 में मध्यप्रदेश के सागर जनपद के बिलइया ग्राम में हुआ थाI
इसके बाद वह संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में अनुसंधान संस्थान के निदेशक व प्रोफेसर के पद पर 1970 में नियुक्त हुए और 1996 तक विश्वविद्यालय में कार्यरत रहे।
वागीश शास्त्री ने 1983 में बाग्योगचेतनापीठम नामक संस्था की स्थापना की थी। इस संस्था के माध्यम से वह सरल विधि से बिना रटे पाणिनी व्याकरण का ज्ञान देते थे।
उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सर्टिफिकेट आफ मेरिट सम्मान प्रदान किया जा चुका है। 2014 में प्रदेश सरकार की ओर से यशभारती सम्मान मिला था और 2014 में ही संस्कृत संस्थान ने विश्व भारती सम्मान दिया था।
2017 में दिल्ली संस्कृत अकादमी ने महर्षि वेद व्यास सम्मान से सम्मानित किया। इस क्रम में वर्ष 1993 में उन्हें अमेरिका ने सर्टिफिकेट आफ मेरिट गोल्ड आफ आनर से सम्मानित किया गया था।
प्रो. शास्त्री को राजस्थान संस्कृत अकादमी से बाणभट्ट पुरस्कार, काशी पंडित परिषद की ओर महामहोपाध्याय सहित अन्य पुरस्कार व अलंकार से नवाजा जा चुका है।
मुख्य कार्य :
प्रो. शास्त्री की अब तक चार सौ से भी अधिक संस्कृत शोधलेख व 55 से अधिक मौलिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुकी हैं।
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